भारत की राष्ट्रपति, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित मानवाधिकार दिवस समारोह में शामिल हुईं

आइए! हम मानवाधिकार दिवस पर, हमारे देश को परिभाषित करने वाले मूल्यों अर्थात न्याय, समानता और गरिमा के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता को दोहराएँ : राष्ट्रपति मुर्मु

राष्ट्रपति भवन : 10.12.2024

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मु आज 10 दिसम्बर, 2024 को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा नई दिल्ली में आयोजित मानवाधिकार दिवस समारोह में शामिल हुईं, और उसे संबोधित किया।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की सभ्यतागत विरासत 5,000 वर्ष से अधिक पुरानी है। भारत में प्राचीन काल से ही सहानुभूति, करुणा और व्यक्तियों के बीच बंधुत्व के जीवन मूल्यों को कायम रखते हुए, विभिन्न समुदाय सौहार्दपूर्ण ढंग से निवास कर रहे हैं। एनएचआरसी और एसएचआरसी जैसी संस्थाएं इन मूल्यों को आधार बनाकर सिविल सोसाइटी, मानवाधिकार प्रहरियों, विशेष प्रतिवेदकों और विशेष अनुवीक्षकों के साथ मिलकर सभी के मानवाधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रही हैं। उन्होंने मानवाधिकारों के उल्लंघन से जुड़े हुए मामलों से निपटने, मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और कमजोर तबकों के लोगों के अधिकारों को संरक्षित करने हेतु नीतिगत बदलावों की अनुसंशा करने में एनएचआरसी द्वारा निभाई गई सक्रिय भूमिका की सराहना की।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत सभी नागरिकों को नागरिक और राजनीतिक अधिकारों की गारंटी प्रदान करने की अपनी प्रतिबद्धता को लेकर दृढ़ संकल्पित है। सरकार सभी के लिए आवास, साफ पेयजल, बेहतर स्वच्छता, बिजली, रसोई गैस और वित्तीय सेवाओं से लेकर स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा प्रदान करने तक कई सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकारों की गारंटी भी देती है। मूलभूत आवश्यकताओं के प्रावधान को अधिकारों का मामला माना जाता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जैसे-जैसे हम नए युग में प्रवेश कर रहे हैं, वैसे-वैसे हमें नई-नई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। साइबर अपराध और जलवायु परिवर्तन मानवाधिकारों के लिए नया खतरा बनकर उभरे हैं। डिजिटल युग, एक परिवर्तनकारी युग है किन्तु यह अपने साथ साइबरबुलिंग, डीपफेक, निजता संबंधी चिंताओं और भ्रामक सूचनाओं का प्रचार-प्रसार जैसे जटिल मुद्दों को भी लेकर आया है। ये चुनौतियाँ प्रत्येक व्यक्ति के अधिकारों और गरिमा की रक्षा सुनिश्चित करने वाले सुरक्षित, संरक्षित और निष्पक्ष डिजिटल वातावरण को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित करती हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुका है, यह कई समस्याओं का समाधान कर रहा है और कई नई समस्याएँ उत्पन्न भी कर रहा है। अब तक मानवाधिकारों का विमर्श ‘मानव क्रिया’ पर केंद्रित रहा है, अर्थात यह माना जाता है कि मानवाधिकारों का उल्लंघनकर्ता कोई इंसान ही होता है, जिसमें करुणा और अपराधबोध जैसी कई मानवीय भावनाएँ होती हैं। तथापि, एआई के मामले में अपराधी कोई गैर-मानव किन्तु बुद्धि सम्पन्न अभिकर्ता भी हो सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन संबंधी मामला भी हमें वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों से जुड़ी सोच की समीक्षा करने के लिए बाध्य कर रहा है। किसी भिन्न जगह और भिन्न युग के प्रदूषक दूसरी भिन्न जगह और भिन्न अवधि के लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। ग्लोबल साउथ की आवाज़ के रूप में भारत जलवायु संरक्षण के क्षेत्र में स्वाभाविक नेतृत्वकर्ता के रूप में उभरा है। ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक 2022, ग्रीन क्रेडिट पहल, और पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली या ‘लाइफ अभियान’ जैसी सरकारी पहलें, आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वच्छ और हरित धरती के निर्माण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।

राष्ट्रपति ने कहा कि हाल के वर्षों में, मानसिक स्वास्थ्य, विशेषकर हमारे बच्चों और युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि NHRC ने इस मुद्दे की गंभीरता को पहचाना है। मैं सभी हितधारकों से अपील करती हूं कि वे हमारे बच्चों और युवाओं को प्रभावित करने वाले तनाव को कम करने के लिए पर्याप्त उपाय शुरू करें। बढ़ती गिग इकॉनमी; गिग वर्कर्स के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न डाले, इस बात को सुनिश्चित करने का आग्रह मैं उद्योग और व्यापार जगत के अग्रणी लोगों से करती हूं। जब भी हम नए आर्थिक मॉडल अपनाते हैं, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी व्यक्तियों, खासकर असुरक्षित क्षेत्रों के लोगों का कल्याण, हमारी प्राथमिकता बनी रहे। हम सभी को मानसिक बीमारी से जुड़े किसी भी कलंक को दूर करने, जागरूकता पैदा करने और जरूरतमंद लोगों की सहायता करने की दिशा में काम करना चाहिए।

राष्ट्रपति ने कहा कि आइए! हम मानवाधिकार दिवस पर, हमारे देश को परिभाषित करने वाले मूल्यों अर्थात न्याय, समानता और गरिमा के प्रति हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता को दोहराएँ। वर्तमान कालखंड की चुनौतियों का सामना करते हुए, हमें प्रत्येक व्यक्ति के मौलिक अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी पीछे न छूटे। उन्होंने कहा कि हम सब मिलकर निरंतर प्रयास और एकजुटता के जरिए एक ऐसे भविष्य का निर्माण कर सकते हैं जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को गरिमा, समान अवसर और उपलब्धिपूर्ण जीवन जीने का अधिकार प्राप्त हो; चाहे उसकी उम्र, पृष्ठभूमि या परिस्थिति कुछ भी हो।

समाचार पत्रिका के लिए सदस्यता लें

सदस्यता का प्रकार
वह न्यूज़लेटर चुनें जिसकी आप सदस्यता लेना चाहते हैं।
सब्सक्राइबर का ईमेल पता